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आधार या वोटर ID नहीं.. अब बर्थ सर्टिफिकेट से होंगे सारे काम, 1 अक्टूबर से लागू हो रहा नियम

Birth Certificate: अगले महीने एक अक्टूबर से डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन में बर्थ सर्टिफिकेट की अहमियत बढ़ने वाली है। स्कूल में एडमिशन, ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने, वोटर आईडी, विवाह पंजीकरण, सरकारी रोजगार सहित कई जगहों पर बर्थ सर्टिफिकेट को सिंगल डॉक्यूमेंट के तौर पर इस्तेमाल किया जाएगा।
 

अगर आपने अब तक अपने घर में बच्चों का बर्थ सर्टिफिकेट (Birth Certificate) अबतक नहीं बनवाया है तो यह खबर बेशक आपके लिए है। क्योंकि अगले महीने 1 अक्टूबर से डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन में बर्थ सर्टिफिकेट की अहमियत बढ़ने वाली है। यानी अगर आपको अपना डॉक्यूमेंट वेरिफाई कराना है तो बर्थ सर्टिफिकेट यानी जन्म प्रमाण पत्र बनवाना जरूरी होगा। नए नियम के तहत बर्थ सर्टिफिकेट का इस्तेमाल स्कूल में एडमिशन, ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने, वोटर आईडी, विवाह पंजीकरण, सरकारी रोजगार, पासपोर्ट और आधार बनवाने सहित कई जगहों पर सिंगल डॉक्यूमेंट के तौर पर किया जाएगा। 

बता दें कि 13 सितंबर को गृह मंत्रालय की ओर से एक नोटिस जारी करते हुए बताया गया था कि 1 अक्टूबर 2023 से जन्म और मृत्यु पंजीकरण (संशोधन) अधिनियम, 2023 लागू हो जाएगा। इस नए नियम में बताया गया था कि देश के सभी नागरिकों को बर्थ और डेथ के लिए रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य होगा। इस संशोधन के मुताबिक, जरूरी और ज्यादातर सरकारी कामों में बर्थ सर्टिफिकेट सिंगल डॉक्यूमेंट की तरह काम करेगा। इसके अलावा गोद लिए गए, अनाथ और सरोगेट बच्चों के लिए पहचान पत्र जारी करना आसान होगा। साथ ही सिंगल माता-पिता या अविवाहित माताओं के लिए बच्चों की पंजीकरण प्रक्रिया को आसान बनाया जा सकेगा।

बर्थ सर्टिफिकेट से क्या होंगे फायदे

आपको बता दें कि जन्म और मृत्यु पंजीकरण के नियमों में बदलाव करने के पीछे का मुख्य कारण है कि इसके जरिए केंद्र और राज्य स्तर पर जन्म और मृत्यु का डेटाबेस तैयार डेटाबेस तैयार किया जा सकेगा। वहीं इस नए नियम के आने के बाद केंद्र और राज्य सरकार जन्म और मृत्यु के डेटा को आपस में आसानी से शेयर कर पाएगी। 

मॉनसून सत्र में आया था संशोधन

पिछले महीने 20 जुलाई से 11 अगस्त तक संसद का मॉनसून सत्र चला था। इस दौरान जन्म और मृत्यु पंजीकरण (संशोधन) विधेयक, 2023 को संसद के दोनों सदनों में पारित किया गया था। 1 अगस्त को इसे निचले सदन यानी लोकसभा में और 7 अगस्त को उच्च सदन (राज्यसभा में) इस संशोधन को मंजूरी मिली थी। अब एक अक्टूबर से इसे लागू किया जा रहा है।