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COP 28 Seminar: सीओपी 28 के माध्यम से वसुधैव कुटुंबकम की अवधारणा की खोज, दिल्ली स्कूल ऑफ जर्नलिज्म में एक विचारोत्तेजक संगोष्ठी का हुआ आयोजन

सेमिनार को संबोधित करते हुए अपने डॉ. मिश्रा ने हाल ही में संपन्न हुए सीओपी 28 के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला। 
 

COP 28 Seminar: दिल्ली विश्वविधालय के प्रतिष्ठित संस्थान "दिल्ली स्कूल ऑफ जर्नलिज्म" में मानद निदेशक, प्रोफेसर जेपी दुबे के कुशल मार्गदर्शन में "सीओपी 28 - वसुधैव कुटुंबकम" पर एक ज्ञानवर्धक और इंटरैक्टिव सत्र हुआ।  इस अवसर पर विशिष्ट वक्ता डॉ. अंकिता मिश्रा रही, जो एक प्रसिद्ध विज्ञान पत्रकारिता संपादक और शोध विद्वान हैं एंव वर्तमान में नेशनल द्वारा प्रकाशित हिंदी मासिक पत्रिका अविष्कार और अंग्रेजी-द्वैमासिक इन्वेंशन इंटेलिजेंस की संपादक के रूप में कार्यरत हैं। यह कार्यक्रम छात्रों और संस्थान सदस्यों की मंत्रमुग्ध उपस्थिति के कारण संपन्न हो पाया.

 सेमिनार को संबोधित करते हुए अपने डॉ. मिश्रा ने हाल ही में संपन्न हुए सीओपी 28 के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला। अपनी व्यापक पत्रकारिता यात्रा से प्रेरणा लेते हुए, उन्होंने व्यक्तिगत प्रयासों के माध्यम से जलवायु परिवर्तन के लक्ष्यों और उद्देश्यों को कैसे प्राप्त किया जा सकता है, इसके व्यावहारिक उदाहरण साझा किए।  उन्होंने जीवन जीने का एक स्थायी तरीका अपनाकर ग्रह के तापमान को कम करने पर जोर दिया, जो प्रत्येक नागरिक की जिम्मेदारी है।  विशेष रूप से, उन्होंने भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में जागरूकता के माध्यम से महत्वपूर्ण सामाजिक परिवर्तन की आवश्यकता को रेखांकित किया।

image credit : DSJ

 जीवाश्म ईंधन के उपयोग और प्लास्टिक अपशिष्ट उत्पादन जैसी बाधाओं पर संबोधित करते हुए उन्होंने वैश्विक मंच पर भारत की प्रगति में तेजी लाने के लिए एक अधिक उन्नत समाज को बढ़ावा देने की जोरदार वकालत की।  उनके संबोधन के बाद एक फिल्म "कार्बन" (निर्देशक जैकी भगनानी, 2017) की स्क्रीनिंग हुई, जिसने एक आंखें खोलने वाला परिप्रेक्ष्य प्रदान किया कि कैसे मातृ प्रकृति के प्रति नागरिकों के रूप में हमारी जिम्मेदारी की कमी विनाशकारी परिणामों को जन्म देगी।

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 विज्ञान पत्रकारिता संकाय डॉ. नेहा नेमा और कार्यशाला समन्वयक डॉ. नंद किशोर द्वारा कुशलतापूर्वक संचालित इस सत्र में संकाय सदस्यों डॉ. प्रवीण झा, मिथिलेश पांडे, डॉ. प्रियंका सचदेवा, डॉ. रजत की सक्रिय भागीदारी और सहयोग देखा गया। प्रशासनिक एवं तकनीकी सहायता उपलब्ध करवाने के लिए श्री केतन जी और डॉ. अब्दुल. का विशेष योगदान रहा. इस सेमिनार को सफल बनवाने में सभी छात्र-छात्राओं का योगदान रहा. जिसमें अंकित मीना, सिमरन, चिराग झा, सिया, मसाबा, आयुषी, कुमार शानू, आशुतोष, अनिमेश, दीपा, अमृतांशु, सुंधाशु, नृपेंद्र और सौविक का अहम सहयोग देखा गया। साथ ही संस्थान से जुड़े विदेशी छात्रों अर्थात् अब्दुल अजीज, फातिमा, थून, चंद्रमथी, आबिद और हसन ने भी सक्रिय रूप से भाग लिया। वक्ता डॉ. मिश्रा ने छात्रों के सवालों का जवाब बड़ी शालीनता से दिया एंव विभिन्न समसामयिक मुद्दों पर चर्चा की और मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान की।