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आखिर चंद्रयान-3 से कितना अलग है रूस का Luna-25 मिशन, यहां जानें

Chandrayaan-3 VS Luna-25 Mission : इसरो के चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग के 4 सप्ताह बाद ही रूस का मून मिशन सामने आया है। जाहिर है कि इसरो ने चंद्रयान-3 को बीते 5 अगस्त के दिन चांद की कक्षा पर सफलतापूर्वक पहुंचा दिया है।
 

इसरो (ISRO) के चंद्रयान-3 (chadrayaan-3) मिशन के बाद अब रूस ने भी मून मिशन के लिए कमर कस ली है। रूसी अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोस्मोस (Roscosmos) 47 सालों के बाद अपना अंतरिक्ष यान धरती से चांद पर भेजने की पूरी तैयारी कर चुका है।  इसी कड़ी में 11 अगस्त यानी कल रूस के Luna 25 Mission की लॉन्चिंग है। माना जा रहा है कि रूस का यह मिशन मून भारत के चंद्रयान-3 से पहले सफलता हासिल कर सकता है। देखना दिलचस्प होगा। 

चंद्रयान-3 पर पड़ेगा फर्क?

बता दें कि भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो के चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग के 4 सप्ताह बाद ही रूस का मून मिशन सामने आया है। जाहिर है कि इसरो ने चंद्रयान-3 को बीते 5 अगस्त के दिन चांद की कक्षा पर सफलतापूर्वक पहुंचा दिया है। यह अब धीरे-धीरे चांद के आर्बिटों को पार करते हुए 23 अगस्त को चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा। अब रूसी लूना मिशन से चंद्रयान-3 पर कोई फर्क पड़ेगा या नहीं आइए जानते हैं। 

मिशन मून के पहले पहुंचने की संभावना

अपने मिशन को लेकर रूसी अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोस्मोस का दावा ​है ​कि उनका मिशन महज पांच दिनों में पूरा हो जाएगा। रूस का लूना 25 मिशन चांद के दक्षिणी ध्रुव के पास तीन संभावित लैंडिंग स्थलों में से एक पर उतरने से पहले चंद्र कक्षा में लगभग पांच से सात दिन बिताएगा। रूसी यान की यह टाइमलाइन बताती है कि उसका मिशन भारतीय चंद्रयान-3 से पहले या लगभग उसी समय चंद्रमा की सतह पर पहुंच सकता है।

दोनों में क्या है अंतर  

संयुक्त राज्य अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) के अनुसार, रूस के लूना 25 मिशन का मुख्य उद्देश्य चांद के ध्रुवीय रेजोलिथ (सतह सामग्री) की संरचना और चंद्र ध्रुवीय बाह्यमंडल के प्लाज्मा और धूल घटकों का अध्ययन करना है। जबकि चंद्रयान-3 का लक्ष्य चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग, रोवर गतिशीलता का प्रदर्शन करना है।