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ISRO: चंद्रयान-3 की एक और छलांग, चांद से बस इतनी दूर, जानें कब होगी लैंडिंग

Chandrayaan-3 : चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग 14 जुलाई को की गई थी। पांच अगस्त को इसने चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया था। इसके बाद छह और नौ अगस्त को चंद्रयान को कक्षा में नीचे लाए जाने की दो प्रक्रियाओं को अंजाम दिया गया।
 

इसरो (ISRO) का चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) मिशन मंजिल चंद्रमा की सतह के करीब एक और कदम बढ़ा चुका है। सोमवार को इसरो की ओर से जानकारी दी गई है कि चंद्रयान-3 ने चांद की कक्षा के एक और वृत्ताकार चरण को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। वह अब चंद्रमा की 'निकटवर्ती कक्षा' में पहुंच चुका है। यानी चंद्रयान-3 ने चांद के चौथे ऑर्बिट में प्रवेश कर लिया है। जाहिर हे कि चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग 14 जुलाई को की गई थी। पांच अगस्त को इसने चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया था। इसके बाद छह और नौ अगस्त को चंद्रयान को कक्षा में नीचे लाए जाने की दो प्रक्रियाओं को अंजाम दिया गया।

चांद से महज इतनी दूरी 

बेंगलुरु में स्थित भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने ट्वीट के जरिए बताया कि 'चंद्रयान को चंद्रमा की सतह के नजदीक लाने की प्रक्रिया शुरू। आज की गई प्रक्रिया के बाद चंद्रयान-3 की कक्षा घटकर 150 किमी x 177 किमी रह गई है।' इसरो की ओर से जानकारी दी गई कि अगली प्रक्रिया को 16 अगस्त की सुबह करीब साढ़े आठ बजे पूरी होने की योजना बनाई गई है। 

चांद तक पहुंचने के लिए एक और प्रक्रिया

बता दें कि चंद्रयान-3 1900 किलोमीटर प्रति सेकेंड की रफ्तार से चांद से 150 किलोमीटर दूर कक्षा में यात्रा कर रहा है। उसे 100 किमी की कक्षा तक पहुंचाने के लिए एक और प्रक्रिया को पूरा किया जाएगा। जिसके बाद लैंडर और रोवर से युक्त लैंडिंग मॉड्यूल आगे की प्रक्रिया के तहत प्रॅपल्शन मॉड्यूल से अलग हो जाएगा। 

इस दिन सॉफ्ट लैंडिंग की उम्मीद 

इसरो के मुताबिक, चंद्रयान-3 लैंडर के ‘डीबूस्ट’ (धीमे होने की प्रक्रिया) से गुजरने और 23 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने की उम्मीद जताई जा रही है। अनुमान है कि इसरो का मिशन रूसी 'लूना-25' मिशन के बाद चांद की सतह पर पहुंच सकता है। दरअसल चंद्रयान-3 अपने सफर के जरिए पृथ्वी और चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण का लाभ लेना चाहता है। उससे यह काफी कम ईंधन पर सफर करेगा।।