भारत में लागू होने जा रहा रोमियो-जूलियट कानून? सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा मामला
देश में सहमति से किशोर यौन संबंध को अपराध की श्रेणी से बाहर रखने वाले रोमियो-जूलियट कानून के लिए आवेदन किया गया था। जिसपर अब सुप्रीम कोर्ट ने जवाब मांगा है। दरअसल, पिछले दिनों ही सुप्रीम कोर्ट में इस संदर्भ में एक जनहित याचिका दायर की गई थी। याचिका में तर्क दिया गया कि अगर कोई नाबालिग लड़का-लड़की अपनी आपसी सहमति से एक-दूसरे के साथ संबंध स्थापित करते हैं और लड़की गर्भवती हो जाती है तो लड़के को दुष्कर्म के आरोप में गिरफ्तार कर लिया जाता है। लेकिन ऐसी स्थिति में हर बार लड़के को दोषी ठहराना ठीक नहीं है।
क्या कहता है पॉक्सो एक्ट
यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम 2012 के तहत, जो बच्चे 18 वर्ष से कम आयु के हैं, उनकी सहमति महत्वहीन है और ऐसे में यदि कोई भी व्यक्ति कम उम्र के व्यक्ति के साथ यौन संबंध बनाता है, तो उसे यौन उत्पीड़न का दोषी माना जाता है। जबकि भारतीय दंड संहिता की धारा 375 के मुताबिक, 16 साल से कम उम्र की लड़की संग यौन संबंध बनाना दुष्कर्म है। फिर चाहें वो आपसी सहमति से ही क्यों न हो।
अन्य देशों में लागू है ये नियम
बता दें कि ऐसे कई देश हैं, जहां पर पहले से ही रोमियो-जूलियट कानून लागू है। इसके तहत वैधानिक दुष्कर्म के आरोप किशोर यौन संबंध के मामलों में सिर्फ तभी लागू हो सकते हैं, जब लड़की नाबालिग हो और लड़का वयस्क हो। दरअसल, साल 2007 के बाद से कई देशों ने अपने यहां रोमियो-जूलियट कानून को मंजूरी दी है। इससे लड़कों की गिरफ्तारी बचती है। सरल शब्दों में कहें तो, यदि किसी लड़के की आयु नाबालिग लड़की से चार साल से अधिक नहीं है, तो वह आपसी सहमति से बनाए गए संबंधों में दोषी नहीं माना जाएगा।
याचिका में दी गई यह दलील
सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिका में याचिकाकर्ता-अधिवक्ता हर्ष विभोर सिंघल ने दलील देते हुए मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ से गुहार लगाई है कि 16-18 साल की लड़कियों के साथ सहमति से यौन संबंध बनाने के लिए जिन लड़कों को गिरफ्तार जाता है उनमें कई की उम्र 18 वर्ष से अधिक थी, वह गलत है। दलील दी कि कानून के इस अस्पष्ट क्षेत्र, एक विधायी रिक्तता को दिशा-निर्देशों द्वारा भरने की जरूरत है कि सहमति देने वाले वयस्कों को दोषी ठहराने से पहले 16+ से 18 वर्ष के बच्चों की सहमति का आंकलन करके वैधानिक दुष्कर्म कानून कैसे संचालित होंगे।