Chanakya Niti: इस रक्षाबंधन जानें, सच्चे भाई-बहन में क्या होती है खास बात?
Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में अनेक जरूरी बातों का जिक्र किया है. आचार्य चाणक्य द्वारा लिखे गए नीति शास्त्र में व्यक्ति को धर्म और कर्म का सही तरीके से पालन करने के सभी तरीके बताए गए हैं. आचार्य चाणक्य द्वारा बताई गई बातों को मानने मात्र से व्यक्ति अपने जीवन में अवश्य सफलता अर्जित कर सकता है. आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में सच्चे रिश्तों की परिभाषा के बारे में भी समझाया है.
आचार्य चाणक्य ने पति-पत्नी, भाई बहन और मां-बाप आदि अनेक रिश्तों को लेकर अपनी राय प्रस्तुत की है. ऐसे में रक्षाबंधन के उपलक्ष्य में आज हम आपको भाई और बहन के भीतर मौजूद उन सच्चे गुणों के बारे में बताएंगे, जोकि चाणक्य के अनुसार भाई बहन के रिश्ते को मजबूती देते हैं, तो चलिए जानते हैं...
चाणक्य के अनुसार, सच्चे भाई-बहन में होते हैं ये लक्षण
त्यजेद्धर्मं दयाहीनं विद्याहीनं गुरुं त्यजेत् त्यजेत्क्रोधमुखं भार्यां नि:स्नेहान् बान्धवांस्त्यजेत्।।
आचार्य चाणक्य के अनुसार, उपरोक्त श्लोक में भाई-बहन के सच्चे रिश्ते को परिभाषित किया गया है. जिसके अनुसार जो भाई-बहन मुसीबत के समय एक दूसरे का साथ नहीं देते हैं, ऐसे भाई-बहन एक दूसरे के लिए कभी भी ईमानदार नहीं होते. जिस वजह से इस तरह के भाई बहनों का समय रहते त्याग कर देना ही उचित होता है.
आचार्य चाणक्य के अनुसार जो भाई-बहन परेशानी में एक दूसरे की मदद नहीं करते, उनके बीच केवल नाम का स्नेह होता है. इस तरह के भाई बहनों का रिश्ता अधिक समय तक नहीं चल पाता और उनके बीच दरारें आ जाती है. चाणक्य ने अपने नीतिशास्त्र में यह भी बताया है कि भाई-बहन के रिश्ते को बेहतर बनाने के लिए क्या करना चाहिए?
भाई बहन के रिश्ते को कैसे करें मजबूत?
- भाई-बहन का रिश्ता इस धरती पर सबसे प्यारा रिश्ता कहा गया है. यही कारण है कि भाई और बहन को एक दूसरे का संगी साथी माना जाता है.
- जो भी भाई और बहन एक दूसरे की मुश्किल वक्त में मदद करते हैं, असल में वही सच्चे भाई-बहन होते हैं.
- सच्चे भाई बहनों के भीतर एक दूसरे के प्रति समर्पण और प्रेम की भावना मौजूद होती है, जिस वजह से उनका रिश्ता जन्म-जन्मांतर तक मजबूती से बना रहता है.
- भाई बहन दोनों में से किसी की भी शादी होने के पश्चात् भी यदि आपका रिश्ता पहले के जैसा मजबूत और परस्पर स्नेह से भरपूर है, तो ऐसे भाई-बहन के रिश्ते को चाणक्य ने सच्चा और पवित्र बताया है.
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