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Tungnath Mandir: सावन के आखिरी दिनों में करें शिव जी के सबसे ऊंचे मंदिर के दर्शन, हो जाएगा बेड़ा पार

. भगवान शिव के अनेक मंदिर संपूर्ण भारतवर्ष में मौजूद हैं, लेकिन भगवान शिव के इस मंदिर की विशेष धार्मिक मान्यता है.
 

Tungnath Mandir: देवों के देव महादेव को हिंदू धर्म में सबसे प्रमुख देव का दर्जा दिया गया है. भगवान शंकर जिन्हें सावन के दिनों में विशेष तौर पर पूजने की परंपरा है. ऐसी मान्यता है कि सावन के दिनों में भगवान शिव धरती पर आकर अपने भक्तों को आशीर्वाद देते हैं.

जिस वजह से सावन के दिनों में भगवान शिव के भक्त विधि-विधान से उनकी पूजा अर्चना करते हैं. इन दिनों जब सावन का महीना समाप्त होने वाला है, तो ऐसे में भगवान शिव के भक्त उनका आशीर्वाद पाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं.

इसी के चलते आज हम आपको भगवान शिव के एक ऐसे मंदिर से रूबरू कराने वाले हैं, जिसे भगवान शिव का सबसे ऊंचा मंदिर कहा जाता है. भगवान शिव के अनेक मंदिर संपूर्ण भारतवर्ष में मौजूद हैं, लेकिन भगवान शिव के इस मंदिर की विशेष धार्मिक मान्यता है. जिसके बारे में आज हम आपको बताएंगे, तो चलिए जानते हैं... 

तुंगनाथ मंदिर का इतिहास

देवभूमि अर्थात् उत्तराखंड में भगवान शिव के अनेक मंदिर मौजूद हैं. इसी तरह से उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग में भगवान शिव का सबसे ऊंचा मंदिर मौजूद है. जिसे तुंगनाथ शिव मंदिर के नाम से जाना जाता है. इस मंदिर का निर्माण महाभारत काल की समय पांडवों ने कराया था.

कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण करके पांडवों ने भगवान शिव को प्रसन्न करने का प्रयास किया था, क्योंकि महादेव पांडवों से महाभारत में नरसंहार करने की वजह से काफी नाराज हो गए थे. तुंगनाथ मंदिर भगवान शिव के पंच केदारों में से एक है, जिसकी ऊंचाई लगभग 3640 मीटर है. तुंगनाथ मंदिर में भगवान शिव की भुजाओं को पूजा जाता है.

तुंगनाथ मंदिर के समीप चंद्रशिला मंदिर मौजूद है, जहां भगवान शिव ने रावण का वध करने पर श्री राम के मन में उत्पन्न हुए पाप से उन्हें मुक्त कराया था. तुंगनाथ मंदिर के आसपास सर्दियों के दौरान काफी बर्फ देखने को मिलती है, जिस वजह से पर्यटक इसे मिनी स्विट्जरलैंड के नाम से भी जानते हैं. इस मंदिर की खोज 18वीं सदी के आसपास शंकराचार्य ने की थी, जिसकी विशेष धार्मिक महत्व है.

यह मंदिर आज से करीब 1000 वर्षों से भी अधिक पुराना माना जाता है. अधिकांश तीर्थयात्री तुंगनाथ मंदिर के दर्शन करने के लिए हर साल जुलाई-अगस्त के महीने में यहां पधारते हैं. इस दौरान मंदिर के भीतर और बाहरी दृश्य को देखकर हर कोई मंत्रमुग्ध हो जाता है. भारत सरकार द्वारा तुंगनाथ मंदिर को राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया जा चुका है.

दूसरी तरफ भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के मुताबिक, प्राकृतिक आपदाओं के चलते तुंगनाथ मंदिर वर्तमान में 5 से 6 डिग्री तक झुक गया है,  जिस वजह से इसे संरक्षित स्मारक करार दिया गया है. तुंगनाथ मंदिर ही ऐसा मंदिर है जहां भगवान शिव के हाथों की आराधना की जाती है. वर्तमान समय में इस मंदिर की देखरेख का कार्य बद्री केदार समिति द्वारा किया जा रहा है.

तुंगनाथ मंदिर को लेकर कई लोग ऐसा भी कहते हैं कि यह वही स्थान है जहां माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए तपस्या की थी. जबकि इस मंदिर का नाम तुंगनाथ इसलिए पड़ा, क्योंकि तुंग यानि भगवान शिव के हाथ और नाथ यानी स्वयं महादेव. इस प्रकार यदि आप भी भगवान शिव की कृपा पाना चाहते हैं तो आपको तुंगनाथ मंदिर के दर्शन करने अवश्य जाना चाहिए.

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