वाहन चालक हो जाएं सतर्क, फर्जी ई-चालान के नाम पर हो रही ठगी, ऐसे बचें

देश में साइबर क्राइम के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं। जैसे-जैसे देश तरक्की की ओर कदम बढ़ा रहा है वैसे-वैसे साइबर अपराधी भी अपने हाथ साफ करने के नए तरीके खोज रहे हैं। कभी बैंक लोन के नाम पर धोखाधड़ी होती है तो कभी पार्ट टाइम नौकरी के नाम पर लोग ठगी का शिकार हो रहे हैं। इस बीच एक नए स्कैम ने मार्केट में एंट्री ली है। जोकि गाड़ियों के चालान से जुड़ा है। ऐसे में आपका सतर्क रहना बेहद जरूरी है। वहीं पुलिस ने भी एहतियात के तौर पर अलर्ट जारी कर दिया है।
जुर्माने के नाम पर हो रही ठगी
साइबर क्राइम के तहत लोगों को ठगने के लिए नया स्कैम आ गया है। पुलिस के अनुसार, इसमें स्कैम के नाम पर लोगों को ऐसे टेस्क्ट मैसेज भेजे जा रहे हैं जो देखने में लगता है कि ट्रैफिक पुलिस की तरफ से भेजा गया है लेकिन वह मैसेज ठगी करने का एक साधन है। जिसमें कहा गया है कि प्राप्तकर्ता ने यातायात उल्लंघन किया है और उसे जुर्माना भरना होगा। इतना ही नहीं मैसेज में एक लिंक भाी शामिल होता है। प्राप्तकर्ता को जुर्माना भरने के लिए उस लिंक पर क्लिक करने के लिए कहा जाता है।
यूजर्स के फोन भी हो रहे है
स्कैमर्स प्राप्तकर्ता को भेजे गए लिंक पर क्लिक करने करने को कहते हैं। जैसे ही लोग उस लिंक पर क्लिक करते हैं तो उन्हें एक फर्जी वेबसाइट पर री-डायरेक्ट किया जाता है। यहां यूजर्स से पेमेंट ले लिया जाता है। हैरानी की बात ये भी है कि कई बार स्कैमर्स लिंक के जरिए यूजर्स का फोन हैक कर लेते हैं फिर उनकी निजी जानकारी चोरी की जाती है।
ई-चालान भुगतान के जरिए ठगी
डीसीपी मुख्यालय और फरीदाबाद के साइबर अपराध अधिकारी हेमेंद्र कुमार मीना ने हाल ही में मीडिया से बातचीत में बताया कि साइबर ठग अब ई-चालान भुगतान की बढ़ती लोकप्रियता का फायदा उठा रहे हैं। वह लोगों को फर्जी ई-चालान मैसेज भेजकर उन्हें ठगने का काम कर रहे हैं। यह मैसेज देखने में असली जैसे ही लगते हैं।
असली और नकली चालान में अंतर
हेमेंद्र कुमार मीना ने लोगों से सतर्क रहने की अपील करते हुए बताया कि असली चालान के मैसेज में इंजन नंबर, चेसिस नंबर जैसी जानकारी होती हैं। असली चालान के मैसेज के साथ आए लिंक पर क्लिक करने पर वह लिंक यूजर्स को सरकार की आधिकारिक साइट https://echallan.parivahan.gov.in पर री-डायरेक्ट करता है। जबकि नकली साइट का लिंक कुछ ऐसा https://echallan.parivahan.in/ है। इसमें .gov.in को हटा दिया गया है।