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Repo Rate बढ़ने के बाद भी EMI रहेगी फिक्स, बस लोन के लिए चुनें ये विकल्प

Fixed Rate Loan: फिक्स्ड रेट लोन का मतलब होता है कि इसमें ब्याज दर फिक्स रहती हैं। इसमें किसी भी बाहरी कारक का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। जाहिर है कि लोन लेने के समय आपको फिक्स्ड रेट का विकल्प चुनना पड़ता है।
 
Fixed Rate Loan

पिछले दिनों ही आरबीआई (RBI) की ओर से सभी वित्तीय संस्थाओं, बैंकों और एनबीएफसी को बताया गया था कि वह ग्राहकों को फ्लोटिंग रेट से फिक्स्ड रेट में बदलने का विकल्प दिया जाता है। जिससे की ब्याज दरों में बढ़ोतरी होने के समय पर जो लोग लोन लेते हैं, उन्हें फायदा मिल सकेगा। आज हम आपको बताएंगे कि आपके लिए फिक्स्ड रेट का विकल्प लेना कब सही होगा। इसके अलावा इसका फायदा क्या है।

ब्याज दर रहती है फिक्स 

आपको बता दें कि फिक्स्ड रेट लोन का मतलब होता है कि इसमें ब्याज दर फिक्स रहती हैं। इसमें किसी भी बाहरी कारक का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। जाहिर है कि लोन लेने के समय आपको फिक्स्ड रेट का विकल्प चुनना पड़ता है। इसका फायदा ये है कि ब्याज लेने के बाद पूरी अवधि तक लोन की ब्याज दर एक समान रहती है। जबकि आमतौर फिक्स्ड लोन की ब्याज दर फ्लोटिंग रेट (लोन लेते समय) से अधिक होती है।

EMI पर नहीं होगा कोई असर

हमेशा ध्यान रखें कि फिक्स्ड रेट लोन लेने का सही समय वही होता है, जब ब्याज दर बढ़ने का ट्रेंड देखा जाता है। इससे ऐसे में फिक्स्ड लोन होने से आपकी EMI पर कोई असर नहीं पड़ता है। वह वैसे की वैसे ही रहती है। साथ ही इसमें कोई बदलाव नहीं होता। 

पिछले साल बढ़ाया गया रेपो रेट

आपको बता दें कि पिछले साल मई 2022 में आईबीआई की ओर से रेपो रेट में बढ़ोतरी की गई थी। ​इसके बाद फरवरी 2023 तक केंद्रीय द्वारा रेपो रेट को 2.5 प्रतिशत तक बढ़ा दिया गया। जिसके कारण रेपो रेट 4.00 प्रतिशत से बढ़कर 6.50 प्रतिशत हो गया। ऐसे में अगर ​कोई व्यक्ति मई 2022 में फिक्स्ड रेट लोन ले चुका होता तो उसकी EMI पर ब्याज दर में बढ़ोतरी पर कोई असर नहीं पड़ता है। 

यहां जानें फिक्सड रेट के फायदे

. फिक्सड रेट लोन लेने से ईएमआई या लोन की अवधि बार-बार नहीं बदलती।
. आर्थिक स्थिरता बनी रहती है।
. लोन पर बाहरी आर्थिक कारणों का असर नहीं होता है।
. आपका जोखिम भी कम होता है।

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