Chandrayaan-3 : जानें क्यों भारत के लिए मील का पत्थर साबित होगा इसरो का यह मिशन
साल 2023 भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के लिए काफी महत्वपूर्ण होने वाला है। पिछले महीने जुलाई में ISRO ने अपने मिशन चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) को श्रीहरिकोटा से सफलतापूर्वक चंद्रमा के लिए रवाना किया। जिसने 5 अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में सफलतापूर्वक प्रवेश कर लिया है। बीते दिनों ही चंद्रयान-3 ने मून की कुछ तस्वीरें भेजी थी। आने वाले समय में चंद्रयान-3 कुछ और महत्वपूर्ण जानकारियां भेजेगा जो भारत के लिए मील का पत्थर साबित हो सकती हैं।
चंद्रमा की ऑर्बिट में रखेगा कदम
चंद्रयान-3 की चंद्रमा के ऑर्बिट में सफल एंट्री के बाद इसरो प्रमुख एस सोमनाथ (S. Somanath) कहा कि 'अभी फिलहाल सब कुछ ठीक चल रहा है। 23 अगस्त को (चंद्रमा पर) उतरने तक कई युद्धाभ्यास होंगे। उपग्रह एकदम ठीक है।' बता दें कि चंद्रयान ने रविवार की रात को चंद्रमा ऑर्बिट में कदम रखा।
चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश सफल
बता दें कि भारत के तीसरे चंद्रयान-3 ने 3,84,400 किलोमीटर तक की लंबी दूरी तय करते हुए धरती के गुरुत्वाकर्षण के दायरे से बाहर निकलकर आखिरकार चंद्रमा की कक्षा में सफलतापूर्वक प्रवेश कर लिया। है। जाहिर है कि किसी भी खगोलीय पिंड पर स्पेसक्राफ्ट को लैंड करवाना काफी मुश्किल होता है। लेकिन यह काम इसरो ने कर दिया है। इसरो ने चंद्रयान-3 को चंद्रमा पर लैंड कराने के लिए पूरा फोकस उसपर रखा है।
भारत के लिए मील का पत्थर
दरअसल, चंद्रमा की सतह पर आसानी से लैंडिंग करने के लिए चंद्रयान-3 को पहले चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश करना होगा। यही वजह है कि चंद्रयान-3 का चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश करना भारत के लिए मील का पत्थर साबित होगा। इसरो के मुताबिक, चंद्रयान-3 रविवार रात को साढ़े 10 बजे से 11:30 बजे के बीच चंद्रमा के चक्कर काटते हुए फिर से अपना ऑर्बिट बदलेगा। जिसके बाद आगे की जटिल प्रक्रियाओं के बाद 23 अगस्त 2023 को यह चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव इलाके में सॉफ्ट लैंडिंग करेगा।
अंतिम लैंडिंग से पहले डी-ऑर्बिटिंग
समाचार एजेंसी PTI के मुताबिक, इसरो के सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि चंद्रयान-3 को चंद्रमा तक पहुंचाने के लिए अभी चार प्रक्रियाएं बाकी हैं। रविवार को चंद्रमा की कक्षा में शामिल करने की प्रक्रिया के बाद 17 अगस्त को तीन और प्रक्रिया होंगी जिसके बाद लैंडिंग मॉड्यूल, जिसमें लैंडर और रोवर शामिल हैं, प्रपल्शन मॉड्यूल से अलग हो जाएगा। जिसके बाद चंद्रमा पर अंतिम लैंडिंग से पहले लैंडर पर डी-ऑर्बिटिंग प्रक्रिया होगी। इसरो के मुताबिक, चंद्रयान-3 23 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग का प्रयास करेगा।