Chandrayaan 3 Landing: चांद पर चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग हो गई, अब आगे क्या? यहां जानें 

Chandrayaan-3 Landing: भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ISRO की ओर से चंद्रयान-3 के लैंडर मॉड्यूल विक्रम की सॉफ्ट लैंडिंग चंद्रमा की सतह पर कराई जा चुकी है। अब सभी जानना चाहते हैं कि चंद्रयान 3 की लैंडिंग के बाद आगे क्या होगा? लैंडर विक्रम और उसमें सवार होकर गया रोवर प्रज्ञान चंद्रमा की सतह पर आगे क्या करने वाला है। 
 
Chandrayaan 3 Landing

ISRO Moon Mission: भारत के मून मिशन चंद्रयान-3 (Chandrayaan 3) ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट-लैंडिंग करते हुए इतिहास रच दिया है। इसके साथ ही भारत दुनिया का पहला देश बन गया है, जिसने यह गौरव हासिल किया। जाहिर है कि चांद के दक्षिणी ध्रुव पर अब तक कोई अन्य देश नहीं पहुंच सका है। बुधवार की शाम 6 बजकर 4 मिनट पर भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ISRO की ओर से चंद्रयान-3 के लैंडर मॉड्यूल विक्रम की सॉफ्ट लैंडिंग चंद्रमा की सतह पर कराई गई। जिसके बाद से देश और दुनियाभर में जश्न का माहौल है। हालांकि अब सभी के मन में यह सवाल है कि चंद्रयान 3 की लैंडिंग के बाद अब आगे क्या होगा? लैंडर विक्रम और उसमें सवार होकर गया रोवर प्रज्ञान चंद्रमा की सतह पर आगे क्या करने वाला है, आइए जानते हैं। 

ये है लैंडर और रोवर का मिशन

चंद्रमा पर लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान की एंट्री हो चुकी है। यहां से शुरू होता है जीवन एक चंद्र दिवस (पृथ्वी के लगभग 14 दिन) का। हालांकि इसरो के वैज्ञानिकों ने इस अवधि से ज्यादा इनके जीवंत रहने की बात से भी मना नहीं किया है। बता दें कि लैंडर और रोवर सौर ऊर्जा से संचालित हैं। ये पृथ्वी के करीब 2 हफ्ते तक चंद्रमा पर भारत के लिए महत्वपूर्ण जानकारियों को एकत्र करेंगे। इस मिशन में वैज्ञानिक पेलोड भी है, जिसका मकसद रोवर और लैंडर के जरिए चंद्रमा की सतह का इन-सीटू (यथास्थान) रासायनिक विश्लेषण करना होगा। 

इन जानकारियों को करेगा एकत्र

बता दें कि प्रज्ञान रोवर में छह पहिए लगाए गए हैं। जिसमें पेलोड के साथ कॉन्फिगर किए गए इंस्ट्रूमेंट भी लगे हैं। इन्हीं के जरिए चांद के वायुमंडल की मौलिक संरचना की जानकारी को ​हासिल किया जाएगा। साथ ही आयनों और इलेक्ट्रॉनों से बनी चांद की सतह के प्लाज्मा के घनत्व को मापा जाएगा। चंद्रमा की थर्मल प्रॉपर्टीज यानी तापीय गुणों को मापा जाएगा और इसकी सिस्मीसिटी यानी सतह के भीतर होने वाली हलचल को मापा जाएगा। 

चांद पर इस तरह काम करेगा रोवर

जाहिर है कि इंड्यूस्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप (LIBS) और अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (APXS) नाम के दो मुख्य उपकरण रोवर प्रज्ञान में शामिल हैं। बता दें कि एलआईबीएस का यूज किसी जगह पर तत्वों और उनकी प्रॉपर्टीज (गुणों) की पहचान करने के लिए होता है। यह इंस्ट्रुमेंट चंद्र सतह पर तेज लेजर फायर करेगा, जिससे सतह की मिट्टी पिघलेगी और प्रकाश का उत्सर्जन होगा। इसी दौरान निकलने वाली वेबलेंथ का विश्लेषण कर एलआईबीएस वहां मौजूद रासायनिक तत्वों और सामग्रियों की जानकारी जुटाएगा। इसके अलावा रोवर चांद की सतह पर मैग्नीशियम, पोटेशियम, कैल्शियम, एल्यूमीनियम, सिलिकॉन, टाइटेनियम और आयरन जैसे तत्वों की मौजूदगी का पता लगाएगा।

चांद पर लैंडर का होगा ये काम

रोवर के दूसरे उपकरण एपीएक्सएस के जरिए चंद्रमा की सतह की मिट्टी और पत्थरों में मौजूद रासायनिक यौगिकों की जानकारी जुटाना होगा। इसके जरिए चांद की मिट्टी पर गहन विश्लेषण हो सकेगा। इसके अलावा रोवर जो भी जानकारी हासिल करेगा उसे लैंडर तक पहुंचाएगा। इसके बाद लैंडर उस जानकारी को भारतीय डीप स्पेस नेटवर्क में भेजेगा, जिसका विश्लेषण इसरो के वैज्ञानिकों की ओर से किया जाएगा।

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