भारत छोड़ो आंदोलन शुरू करने के पीछे ये था बड़ा कारण, जानें पूरी कहानी

Quit India Movement : बहुत कम लोग जानते हैं कि आजादी के लिए जो भारत छोड़ो आंदोलन शुरू किया गया था, उसके पीछे असली कारण जापान द्वारा भारत पर हमला किए जाने की आशंका थी। आइए पूरी कहानी विस्तार से जानते हैं। 
 
Quit India Movement
Image Credit : Wikipedia

Quit India Movement : 15 अगस्त का दिन हर देशवासी के लिए गर्व करने का दिन होता है। अगले सप्ताह सोमवार को भारत आजादी का 76वां साल सेलिब्रेट करेगा। देश को आजाद कराने के लिए क्रांतिकारियों ने अपने प्राण तक न्योछावर कर दिए। भारत छोड़ो आंदोलन शुरू किया। बहुत कम लोग जानते हैं कि आजादी के लिए जो भारत छोड़ो आंदोलन शुरू किया गया था, उसके पीछे असली कारण जापान द्वारा भारत पर हमला किए जाने की आशंका थी। आइए जानते हैं भारत छोड़ो आंदोलन को शुरू करने के पीछे ​की पूरी कहानी के बारे में। 

ब्रिटेन के खिलाफ लड़ाई छेड़ चुका था जापान 

दरअसल, साल 1942 में जब भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत हुई थी तब दुनिया में दूसरा विश्व युद्ध भी चल रहा था। जहां एक ओर भारत पर ब्रिटिश सरकार ने जबरन कब्जा कर रखा था तो वहीं दूसरी ओर घरेलू मोर्चे पर ब्रिटेन को हिटलर की सेनाओं का सामना करना पड़ रहा था। वहीं दूसरी ओर जापान भी ब्रिटेन के खिलाफ लड़ाई छेड़ चुका था और पूरे दक्षिण-पूर्व एशिया को पार करते हुए भारत की तरफ बढ़ रहा था।

जापान हमले में भारत के नुकसान की आशंका

यह वो समय था जब ब्रिटेन की सेनाओं ने दक्षिण-पूर्व एशिया में जापानियों के सामने समर्पण कर दिया था। ऐसे में जापानियों के भारत में घुसने की आशंका थी। जिसे देखते हुए तत्कालीन भारतीय नेताओं (महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभ भाई पटेल) को लगा कि यदि जापान भारत पर हमला करता है तो यहां शासन कर रहे अंग्रेजों का तो ज्यादा नुकसान नहीं होगा, लेकिन भारत की असंख्य जनता को भारी कीमत चुकाना पड़ सकती है। 

ब्रिटेन-जापान की लड़ाई में नहीं मिलता कोई लाभ

जाहिर है कि जापान से लड़ने के लिए ब्रिटिश सरकार भारतीय सैनिकों का ही इस्तेमाल करती। जिससे नुकसान भी भारत को होता। दूसरी आशंका ये थी कि अगर जापान से लड़ाई में ब्रिटेन हार भी जाता तो भारत को कोई खास लाभ नहीं होगा। उल्टा फिर भारत पर जापान का कब्जा हो जाता। 

ब्रिटेन ने ठुकरा दिया भारतीय नेताओं का प्रस्ताव

इन सभी आशंकाओं को देखते हुए तत्कालीन भारतीय नेताओं ने अंग्रेजों के सामने प्रस्ताव रखा कि 'यदि वे द्वितीय विश्वयुद्ध में भारत का सहयोग चाहते हैं तो उन्हें भारत सरकार में भारतीय नेताओं को भी शामिल करना होगा और देश से जुड़े महत्वपूर्ण निर्णयों में उनकी राय भी लेनी होगी।' हालांकि अंग्रेजों को यह मंजूर नहीं था कि जिन भारतीयों पर वे शासन कर रहे हैं, उन्हें सरकार में शामिल करें। उधर, भारतीय नेताओं व ब्रिटेन के बीच वैचारिक मतभेद बढ़ने लगे। जिसके बाद ही अंग्रेजों के खिलाफ 'भारत छोड़ो आंदोलन' की शुरुआत हुई। आखिरकार भारतीय नेतृत्व ने देश की जनता को जगाने और देश से अंग्रेजों को भगाने के लिए आंदोलन की रणनीति बनाई। 

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