मणिपुर में 12 दिनों बाद फिर भड़की हिंसा की आग, तीन की गोली मारकर हत्या

Manipur Violence: पुलिस के मुताबिक, यह घटना सुबह 4:30 बजे के आसपास जिला मुख्यालय उखरूल शहर से करीब 47 किमी दूर स्थित कुकी आदिवासियों के गांव थौवाई कुकी में हुई है। इस गांव में नागा जनजाति तांगखुल की हुकूमत चलती है।
 
Manipur Violence

मणिपुर में 12 दिनों की शांति के बाद हिंसा की आग एक बार फिर भड़क गई है। शुक्रवार तड़के य​हां हथियारों से लैस बदमाशों ने उखरुल जिले में तीन ग्राम रक्षा कर्मियों पर गोली चला दी। जिससे मौके पर ही उनकी मौत हो गई। पुलिस के मुताबिक, यह घटना सुबह 4:30 बजे के आसपास जिला मुख्यालय उखरूल शहर से करीब 47 किमी दूर स्थित कुकी आदिवासियों के गांव थौवाई कुकी में हुई है। इस गांव में नागा जनजाति तांगखुल की हुकूमत चलती है। 

पुलिस अधीक्षक ने की पुष्टि

उखरुल के पुलिस अधीक्षक एन वाशुम ने पुष्टि करते हुए कहा, 'हमारी जानकारी के अनुसार हथियारबंद बदमाशों का एक समूह पूर्व में स्थित पहाड़ियों से गांव में आया और ग्राम रक्षकों पर गोलीबारी शुरू कर दी। घटना में गांव के तीन लोगों की मौत हो गई है। किसी के घायल होने की कोई रिपोर्ट नहीं है।'

बढ़ाई गई सुरक्षा व्यवस्था

उन्होंने आगे कहा कि घंटना को देखते हुए राज्य में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई है। वहीं घटना में शामिल लोगों को पकड़ने के लिए राज्य पुलिस और भारतीय सेना द्वारा संयुक्त अभियान चलाया जा रहा है। जाहिर है कि इससे पहले 5 अगस्त को बिष्णुपुर और चुराचांदपुर जिलों में गोलीबारी हुई थी। दोनों समुदाय के बीच हुई इस झड़प में 5 लोगों की मौत हुई थी। इनमें दो कुकी और तीन मैतेई समुदाय के थे। 

मई से चलती आ रही हिंसा

बता दें कि राज्य में 3 मई से इंफाल घाटी में बहुसंख्यक मैतेई और आसपास के पांच जिलों में प्रभावी आदिवासी कुकी समुदायों के बीच हिंसा चलती आ रही है। दोनों समुदायों के बीच हो रही इस झड़प में 160 से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं, जबकि कई लोग हिंसा में घायल हो गए। जिसे देखते हुए यहां से लगभग 50,000 लोग विस्थापित हुए हैं।

ये है हिंसा का कारण

राज्य में बहुसंख्यक मैतई समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) में शामिल किए जाने की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में 'आदिवासी एकजुटता मार्च' आयोजित किया था। इसके बाद से ही मैतेई और कुकी समुदाय के बीच मामला गर्मा गया। बता दें कि मणिपुर की आबादी में मैतेई समुदाय की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं। जबकि कुकी और नागा समुदाय की आबादी 40 प्रतिशत से ज्यादा है और वे पहाड़ी जिलों में रहते हैं।

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