Explainer : क्या है अविश्‍वास प्रस्‍ताव और इसके नियम, जानें इससे जुड़ा इतिहास

No Confidence Motion : साल 2018 में केंद्र सरकार के पहले कार्यकाल में विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव लेकर आया था। जिसपर पीएम मोदी का जवाब भी बहुत चर्चित हुआ था। क्योंकि मोदी सरकार ने वहां बहुमत साबित कर दिया था।
 
No Confidence Motion

मणिपुर में पिछले कई महीनों से हिंसा का दौर जारी है। जिसे लेकर संसद के मानसून सत्र में भी मोदी सरकार का विरोध तेज हो गया है। जिसके चलते संसद भवन में केंद्र सरकार के खिलाफ विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव लेकर आ रहा है। हालांकि इसके पहले भी साल 2018 में विपक्ष केंद्र सरकार के पहले कार्यकाल में अविश्वास प्रस्ताव लेकर आया था। जिसपर पीएम मोदी का जवाब भी बहुत चर्चित हुआ था। क्योंकि मोदी सरकार ने वहां बहुमत साबित कर दिया था। अब फिर से मोदी सरकार के खिलाफ विपक्ष यह प्रस्ताव ला रहा है। तो आइए जानते हैं कि आखिर यह अविश्वास प्रस्ताव क्या है, इसके क्या नियम है। किन परिस्थितियों में इसे लाया जा सकता है। 

क्या होता है अविश्वास प्रस्ताव 

बता दें कि लोकसभा सदन में अगर किसी विपक्ष पार्टी को लगता है कि सत्‍तारूढ़ दल या सरकार सदन में अपना विश्वास खो चुकी हे और देश में उसकी नीति ठीक नहीं है तो उसके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है। इस प्रस्ताव को नो कांफिडेंस मोशन कहते हैं। जिसके जरिए विपक्ष दावा करता है कि सरकार के पास बहुमत नहीं हैं। ​हालांकि ऐसे में सरकार को इसे साबित करना होता है। 

अविश्वास प्रस्ताव के नियम

नो कांफिडेंस मोशन प्रस्ताव का प्रावधान संविधान के आर्टिकल 75 में किया गया है। जिसके मुताबिक, सदन में अगर मेजॉरिटी साबित नहीं हो पाई तो उस स्थिति में प्रधानमंत्री सहित कैबिनेट को त्‍याग पत्र देना होता है। इससे पहले साल 1963 में जेपी कृपलानी ने नेहरू सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के लिए नो​टिस दिया था। जबकि 1979 में मोराजी देसाई एक मात्र ऐसे प्रधानमंत्री थे जिनकी सरकार इस नियम के तहत गिरी थी। 

प्रस्‍ताव में मतदान का अधिकार

बता दें कि इंदिरा गांधी की सरकार के खिलाफ अब तक सबसे अधिक 15 बार अविश्वास प्रस्ताव लाया जा चुका है। जबकि लाल बहादुर शास्त्री के खिलाफ लाए गए इस प्रस्‍ताव पर अब तक की सबसे लंबी बहस हुई जिसकी अवधि 24.34 घंटे दर्ज की गई। जाहिर है कि जब लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव को लाया जाता है तो सत्‍तारूढ़ दल को खुद की संख्या बल को साबित करना होता है। इसके लिए मतदान सिर्फ लोकसभा सांसद कर सकते हैं। राज्यसभा के सांसद इसमें हिस्सा नहीं ले सकते। 

अब तक 27 बार प्रस्ताव लाया गया

लोकसभा में अब तक कुल 27 बार अविश्वास प्रस्ताव लाया जा चुका है। इससे पहले मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान जुलाई 2018 में विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव लाया था। हालांकि इस प्रस्ताव के बदले विपक्ष की तगड़ी किरकिरी हुई थी। क्योंकि अविश्वास प्रस्ताव लाने वाले राहुल गांधी के समर्थन में सिर्फ 126 वोट पड़े थे जब​कि 325 लोकसभा सांसदों ने इस प्रस्ताव के खिलाफ वोट दिया था। वहीं अब मणिपुर हिंसा मामले में लाए जाने वाले इस प्रस्ताव को मिलाकर इसकी संख्या 28 हो जाएगी।  

कितनी बार सरकारें गिरीं

लोकसभा के इतिहास में अविश्‍वास प्रस्‍ताव 27 बार लाया गया है लेकिन इससे सरकारें केवल तीन ही बार गिरी हैं। पहली बार 1990 में वीपी सिंह, दूसरी बार 1997 में एचडी दैवेगोड़ा एवं 1999 में अटल सरकार के खिलाफ यह प्रस्‍ताव पारित हो गया था। 

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