Greater Noida News: प्राधिकरण और सरकार के झूठे वायदों से दुखी किसानों ने पीएम मोदी को अपने खून से लिखी चिट्ठी, इच्छा मृत्यु की माँगी इजाज़त

किसानों का कहना है कि गौतमबुद्ध नगर के जनप्रतिनिधि, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण, जिला प्रशासन और अफसरों से वो काफी प्रताड़ित हो चुके हैं।
 
Greater Noida
Kisan Andolan

Greater Noida के दादरी एनटीपीसी से प्रभावित किसानों ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने खून से पत्र लिखकर भेजा है। किसानों का कहना है कि गौतमबुद्ध नगर के जनप्रतिनिधि, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण, जिला प्रशासन और अफसरों से वो काफी प्रताड़ित हो चुके हैं। अपना दुख दर्द किसानों ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर साझा किया है। किसानों का कहना है, "वह रोजाना मर रहे हैं। इससे अच्छा उनको एक बार मौत दे दी जाए।" 

किसानों ने अपने खून से  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखी चिट्ठी

किसानों ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा राहुल गांधी और अखिलेश यादव को भी खून से पत्र लिखा है। किसानों ने अपने खून से पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र भेजा है। जिसमें उन्होंने अपना दुख-दर्द लिखा है। केवल पुरुष ही नहीं बल्कि काफी महिलाओं ने भी चिट्ठी लिखने के लिए अपना खून दिया है। किसानों की खून देने के लिए लाइन लगी हुई है। जिससे पता चलता है कि किसान कितनी बुरी तरीके से प्रभावित है। भारतीय किसान परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुखबीर खलीफा का कहना है, "पिछले 11 महीना से किसानों का प्रदर्शन चल रहा है।

कोई सुनने को तैयार नहीं किसानों की बात 

दादरी में स्थित एनटीपीसी केंद्र के बाहर अपनी मांगों को लेकर किसान धरने पर बैठे हुए हैं। स्थानीय जनप्रतिनिधियों से लेकर लखनऊ तक मदद की गुहार लगाई जा चुकी है, लेकिन सब आंखों पर पट्टी बांधकर बैठे हुए हैं। कोई अफसर किसानों की तरफ देखने को तैयार तक नहीं है। जिला प्रशासन और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण से काफी बार वार्तालाप करने का प्रयास किया गया, लेकिन किसानों का नाम सुनकर सब आंखें बंद कर लेते हैं। विधायक और सांसद ने मदद करने का आश्वासन दिया था, लेकिन उसके बावजूद कोई एक्शन नहीं लिया गया, सब गायब हैं। हमारी समस्या का समाधान करने के लिए कोई तैयार नहीं है। यह किसानों का शोषण नहीं है तो और क्या है? किसान रोजाना मर रहे हैं। इससे अच्छा होगा कि हमें मौत दे दी जाए। 

आपको बता दें कि ग्रेटर नोएडा में दादरी के पास नेशनल थर्मल पावर कारपोरेशन का विद्युत उत्पादन केंद्र है। यह संयंत्र लगाने के लिए सरकार ने करीब 35 वर्ष पूर्व इलाके के 23 गांवों में भूमि का अधिग्रहण किया था। किसानों का कहना है कि उस वक्त भूमि अधिग्रहण की एवज में मिलने वाला मुआवजा समान नहीं था। मतलब, किसी गांव में कम और किसी गांव में ज्यादा मुआवजे का भुगतान किया गया। तभी से किसान समान मुआवजे की मांग कर रहे हैं। इसके अलावा एनटीपीसी में नौकरियां और इन गांवों के विकास की मांग भी किसान करते रहे हैं। अब इन्हीं मांगों को पूरा कराने के लिए एक नवंबर को सैकड़ों की संख्या में किसान एनटीपीसी थर्मल पावर प्लांट के बाहर प्रदर्शन कर रहे हैं।

(Reported By Akram Khan, Edited By Alok Mishra)

Tags

Share this story

More on this story

Latest News

Must Read

Don't Miss