Noida: आंधी-तूफान आए या बारिश, मोटोजीपी रेस पर नहीं डाल सकती खलल, जानिए क्यों
ग्रेटर नोएडा के दनकौर में बने बुद्धा इंटरनेशनल सर्किट ट्रैक पर 22 सितंबर से 24 सितंबर 2023 तक मोटो जीपी रेस (MotoGP Race) आयोजित हो रही है। जिसे लेकर देश ही नहीं बल्कि विदेशी दर्शकों में भी गजब का उत्साह है। लोग बड़ी संख्या में टिकट खरीद कर ग्रेटर नोएडा आने की तैयारी कर रहे हैं। हालांकि इन दिनों बारिश का मौसम चल रहा है। यदि रेस से पहले और बीच में बारिश होने लगती है तो उसके लिए क्या बदलाव किए जाते हैं? या फिर रेस पर बारिश का असर पड़ने से इसे बंद कर दिया जाता है? आइए जानते हैं इसका जवाब।
बारिश होने पर होता है गीला ट्रैक घोषित
आपको बता दें कि यदि रेस से पहले और बीच में बारिश होने लगती है तो रफ्तार के रोमांच में कोई खलल नहीं पड़ता है। बारिश होने पर ट्रैक को वैट यानी गीला ट्रैक घोषित कर दिया जाता है। जिसके बाद मोटोजीपी रेस के राइडर्स बाइक बदल लेते हैं। जबकि इसी रेस के दो अन्य चरण मोटो 2 और मोटो 3 की रेस में बाइक के सिर्फ टायर ही बदले जाते हैं। मोटो जीपी रेस में बाइक इसलिए बदली जाती है क्योंकि कई बदलाव बाइक में करने पड़ते हैं, जैसे कि ब्रेक, टायर, सस्पेंशन, सॉफ्टवेयर आदि जिसमें काफी समय लग जाता है। क्योंकि बारिश होने पर वैट ट्रैक होने पर सब कुछ कई गुना बढ़ जाता है इसमें जोखिम, ध्यान और प्रतिक्रिया का समय बढ़ जाता है। टायर, ब्रेक, शॉक ऑब्जर्वर, स्प्रिंग्स, बेहतर राइड के लिए री बैलेंसिंग, इलेक्ट्रॉनिक सॉफ्टवेयर जैसे और भी तमाम बदलाव करने पड़ते है। कार्बन डिस्क ब्रेक में लगने वाले पैड को बदलना पड़ता है।
हेलमेट में लगाया जाता है डबल वाइजर
यदि स्टील डिस्क ब्रेक का इस्तेमाल करते हैं तो कैलिपर्स और हाइड्रोलिक सिस्टम को खाली करने के साथ ही पूरे सिस्टम को बदलने की जरूरत पड़ती है। इसीलिए मोटो जीपी रेस में बाइक ही बदल दी जाती है। वहीं रेस के अन्य दो चरण मोटो 2 और मोटो 3 की रेस में दौड़ने वाली बाइक में कोई बदलाव नहीं होता। इनमें सिर्फ चिकने टायर को बदल कर रबर के टायर का इस्तेमाल होता है, जिससे कि टायर का तापमान अधिकतम रहे। यह चिकने टायर की तुलना में नरम होते हैं। टायर में बने खांचे हाइड्रोप्लानिंग (एक खतरनाक ड्राइविंग स्थिति जो तब होती है, जब पानी के कारण आपके बाइक के टायरों का सड़क की सतह से संपर्क छूट जाता है) से बचने के लिए पानी को व्यवस्थित करते हैं। बारिश होने के दौरान हेलमेट में भी बदलाव किया जाता है। हेलमेट में डबल वाइजर (हेलमेट के आगे की तरफ खुलने वाला हिस्सा) लगा दिया जाता है। इन वाइजर में अतिरिक्त उभरी हुई लकीर होती हैं।
सूट के ऊपर होती है प्लास्टिक की कोटिंग
बता दें कि वाइजर को एक विशेष उत्पाद से रगड़ा जाता है, जिससे पानी की बूंदे सतह पर नहीं रुकती। इसके अंदर पिन लॉक सिस्टम होता है जो वाइजर के साथ एयर चैंबर बनता है, जिससे हेलमेट पर भाप की परत नहीं बनती है। बारिश में राइडर द्वारा पहने जाने वाले सूट को भी बदल दिया जाता है। या तो पूरा सूट वाटरप्रूफ होता है या फिर उस पर प्लास्टिक की कोटिंग कर दी जाती है। आपको बता दें कि जिस सामग्री से सूट बनता है उसमें महीन छेद होते हैं जो राइटर्स के शरीर के तापमान को संतुलित रखता है। यदि सूट वाटरप्रूफ नहीं होगा तो काफी मात्रा में पानी सोख लेगा जिससे सूट का वजन बढ़ जाएगा और इसका विपरीत असर बाइक की गति पर पड़ेगा।