Grishneshwar jyotirling: सावन के महीने में जरूर करें अंतिम ज्योतिर्लिंग के दर्शन, महादेव की होगी कृपा

Grishneshwar jyotirling: सावन का महीना हिंदू धर्म में बेहद पावन माना गया है. इस महीने में विशेष तौर पर देवों के देव महादेव की आराधना की जाती है. सावन के महीने में महादेव को खुश करने के लिए अनेक उपाय करते हैं. ऐसे में भी आप भी भगवान शिव के भक्त हैं और उनका आशीर्वाद पाना चाहते हैं, तो हमारे आज के इस लेख में हम आपको भगवान शिव के पवित्र ज्योतिर्लिंगों में से अंतिम ज्योतिर्लिंग के बारे में बताएंगे.
संपूर्ण भारत में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग मौजूद हैं. जिनमें घुष्मेश्वर ज्योतिर्लिंग को अंतिम ज्योतिर्लिंग कहा जाता है. ऐसी मान्यता है कि जो भी व्यक्ति सावन के दिनों में इस ज्योतिर्लिंग में आकर महादेव के दर्शन करता है, उसकी सारी मनोकामनाएं भगवान शिव पूर्ण करते हैं. ऐसे में भगवान शिव का यह ज्योतिर्लिंग किसलिए प्रसिद्ध है उसमें क्या खास बात है? चलिए जानते हैं...
घुष्मेश्वर ज्योतिर्लिंग का इतिहास
घुष्मेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के दौलताबाद जिले के वेरुलगांव में मौजूद है. इस ज्योतिर्लिंग के आसपास अजंता और एलोरा की गुफाएं भी मौजूद हैं. भगवान शिव की भक्त घुष्मा के नाम पर इस ज्योतिर्लिंग का नाम रखा गया है. इस ज्योतिर्लिंग को लेकर मान्यता है कि जो भी व्यक्ति संतान प्राप्ति की कामना लेकर यहां आता है उसकी कामना महादेव अवश्य पूरी करते हैं.
ज्योतिर्लिंग में एक पवित्र सरोवर स्थापित है, जिसे शिवालय के नाम से जाना जाता है. ऐसी मान्यता है कि जो भी व्यक्ति भगवान शिव के इस अंतिम ज्योतिर्लिंग में आकर यहां मौजूद सरोवर के दर्शन करता है, महादेव उसको अपना आशीर्वाद जरूर देते हैं.
सावन के महीने में इस ज्योतिर्लिंग मी महादेव के दर्शन करने देश-विदेश से हजारों की संख्या में लोग यहां पहुंचते हैं. 18 वीं सदी के दौरान इस ज्योतिर्लिंग का जीर्णोद्धार इंदौर की महारानी अहिल्याबाई होलकर के द्वारा कराया गया था, तब से लेकर अब तक इस ज्योतिर्लिंग की पवित्रता और सादगी ज्यों की त्यों बनी हुई है.
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