Shiv birth story: कैसे हुआ था महादेव का जन्म? सोमवार के दिन जरूर जानें ये रहस्य

Shiv birth story: देवों के देव महादेव को सोमवार के दिन पूजा जाता है. वैसे तो सृष्टि के संहारकर्ता के तौर पर शिव जी को हर दिन पूजने की परंपरा है, लेकिन विशेष तौर पर शिवजी की आराधना के लिए सोमवार का दिन निर्धारित किया गया है.
बीते दिनों सावन का महीना समाप्त हुआ है परंतु भगवान शिव के भक्तों के लिए महादेव सदैव पूजनीय रहते हैं. ऐसे में आज भादों महीने के पहले सोमवार पर हम आपको भगवान शिव से जुड़े कुछ एक रहस्यों के बारे में बताने वाले हैं.
भगवान शिव के रहस्यों में से एक रहस्य यह भी मौजूद है, कि आखिर भगवान शिव का जन्म (Shiv birth story) कैसे हुआ? हमारे आज के इस लेख में हम आपको महादेव के इसी रहस्य के बारे में विस्तार से बताएंगे, तो चलिए जानते हैं...
कैसे हुआ था महादेव का जन्म?
हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव जन्म और मृत्यु के बंधन से परे हैं, लेकिन कई सारी पौराणिक मान्यताओं के आधार पर शिव जी के जन्म की कथा प्रचलित है.
हिंदू धर्म के प्रसिद्ध विष्णु पुराण में भगवान शिव के जन्म की गाथा का वर्णन किया गया है. जिसके मुताबिक भगवान शिव का जन्म भगवान विष्णु के मस्तक के तीव्र प्रकाश के माध्यम से हुआ है.
जबकि श्रीमद् भागवत की मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव ने उस समय जन्म (Shiv birth story) लिया, जब भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी में एक दूसरे से श्रेष्ठ स्थापित करने की होड़ मची हुई थी. इस दौरान शिवजी ने एक ज्वाला के तौर पर जन्म लिया, तब ब्रह्मा और विष्णु को यह एहसास हुआ कि इस ब्रह्मांड को सर्वोच्च शक्ति के द्वारा संचालित किया जा रहा है, जिसे भगवान शिव कहते हैं.
कई सारी धार्मिक पुस्तकों में भगवान शिव को अजन्मा बताया गया है. जिस वजह से भगवान शिव को स्वयंभू कहा जाता है, अर्थात् जिनका जन्म नहीं हुआ बल्कि वह प्रकट हुए हैं.
विष्णु पुराण की अन्य मान्यताओं के अनुसार, भगवान ब्रह्मा जी के पुत्र के तौर पर शिव जी ने जन्म लिया था, जिन्होंने ही भगवान शिव का नाम रुद्र रखा. इसका जिक्र भी कई जगहों पर हुआ है.
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