Ujjain Mahakal: भगवान शिव को क्यों कहते हैं महाकाल? क्या है मान्यता

Ujjain Mahakal: हिंदू धर्म में भगवान शिव को सभी देवों में सबसे सर्वोच्च स्थान दिया गया है. भगवान शिव जिन्हें भोलेनाथ, महादेव, शिव शंभू और शंकर के नाम से भी जाना जाता है. सावन के महीने में विशेष तौर पर भगवान शिव की उपासना की जाती हैं. इन दिनों चारों तरफ जब भगवान शिव की भक्ति की धूम मची हुई है, तो ऐसे में भगवान शिव से जुड़े रहस्य के बारे में जाने के लिए हर कोई उत्सुक है.
जैसा कि आपको विदित है कि सावन के दिनों में ही उज्जैन में महाकाल की सवारी निकाली जाती है. इस दौरान महाकाल की सवारी में देश-विदेश से लाखों हजारों लोग सम्मिलित होते हैं. भगवान शिव जिन्हें ही महाकाल के नाम से जाना जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान शिव को महाकाल क्यों कहा जाता है? यदि नहीं तो हमारे आज के इस लेख में हम आपको इसी के बारे में जानकारी देंगे.
भगवान शिव को क्यों कहा गया महाकाल?
हिंदू धर्म में भगवान शिव के महाकाल स्वरूप को विशेष तौर पर पूजने की परंपरा है. भगवान शिव को महाकाल के तौर पर क्यों पूजा जाता है? आज के इस लेख में आगे जानेंगे. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, वर्तमान उज्जैन नगरी में एक समय में एक ब्राह्मण निवास किया करता था. वह भगवान शिव का काफी बड़ा भक्त था.
उसकी नगरी में एक दूषण नाम का राक्षस था, जोकि अपने आतंक से मानव लोक में सबके लिए परेशानियां पैदा कर रहा था. उस राक्षस को ब्रह्माजी से कई सारी शक्तियां प्राप्त हुई थी, जिनका दुरुपयोग करके वह मानव समाज को भयभीत कर रहा था. उस राक्षस का अंत करने के लिए ब्राह्मण ने भगवान शिव की आराधना शुरू कर दी, लेकिन भगवान शिव ने उस ब्राह्मण की नहीं सुनी.
उसके बाद ब्राह्मण ने क्रोधित होकर भगवान शिव की आराधना करना बंद कर दिया. ऐसे में भगवान शिव ने जब देखा कि ब्राह्मण ने उनकी उपासना करना बंद कर दिया है, तब शिवजी ने क्रोध में आकर उस दूषण नामक राक्षस को मार दिया. दूषण नामक राक्षस को वहां के लोग काल कहकर भी पुकारते थे, कहा जाता है दूषण यानि काल नामक राक्षस का वध करने के बाद भगवान शिव को महाकाल कहकर पुकारा जाने लगा.
अन्य धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव को महाकाल इसीलिए कहा जाता है क्योंकि वह काल अर्थात समय का नियंत्रण करते हैं और मृत्यु से परे हैं. यही कारण है कि हिंदू धर्म में भगवान शिव के महाकाल अवतार को पूजा जाता है.
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