दाग़ देहलवी के 10 चुनिंदा शेर
Dagh Dehlvi shayari in hindi: 'जली है धूप में शक्लें जो माहताब की थी...'
News Room
Wed, 27 Sep 2023
"जली है धूप में शक्लें जो माहताब की थी, खिंची है काँटों पे जो पत्तियाँ गुलाब की थी।"
"हज़ारों काम मोहब्बत में है मज़े के 'दाग़', जो लोग कुछ नहीं करते कमाल करते हैं।"
"तुम्हारा दिल मिरे दिल के बराबर हो नहीं सकता,वो शीशा हो नहीं सकता ये पत्थर हो नहीं सकता।"
"ये तो नहीं कि तुम सा जहाँ में हसीं नहीं, इस दिल को क्या करूँ ये बहलता कहीं नहीं।"
"लिपट जाते है वो बिजली के डर से, इलाही ये घटा दो दिन तो बरसे।"
"ग़ज़ब किया तिरे वअ'दे पे ए'तिबार किया, तमाम रात क़यामत का इंतिज़ार किया।"
"आशिकी से मिलेगा ऐ ज़ाहिद, बंदगी से ख़ुदा नहीं मिलता।"
"देखना हश्र में जब तुम पे मचल जाऊँगा, मैं भी क्या वादा तुम्हारा हूँ कि टल जाऊँगा।"
"इन आँखों ने क्या-क्या तमाशा न देखा, हक़ीक़त में जो देखना था न देखा।"
"आइना देख के कहते हैं सँवरने वाले, आज बे-मौत मरेंगे मिरे मरने वाले।"