मीर तक़ी मीर के 10 चुनिंदा शेर

Mir taqi Mir shayari in Hindi: 'दिल वो नगर नहीं कि फिर आबाद हो सके...’

"दिल वो नगर नहीं कि फिर आबाद हो सके, पछताओगे सुनो ये बस्ती उजाड़कर।"

"राह-ए-दूर-ए-इश्क़ में रोता है क्या, आगे-आगे देखिए होता है क्या।"

"नाज़ुकी उस के लब की क्या कहिए, पंखुड़ी इक गुलाब की सी है।"

"क्या कहूँ तुम से मैं कि क्या है इश्क़, जान का रोग है बला है इश्क़।"

"पत्ता-पत्ता बूटा बूटा हाल हमारा जाने है, जाने न जाने गुल ही न जाने बाग तो सारा जाने है।"

"क्या कहें कुछ कहा नहीं जाता, अब तो चुप भी रहा नहीं जाता।"

"इक़रार में कहाँ है इंकार की सी सूरत, होता है शौक़ ग़ालिब उस की नहीं नहीं पर।"

"मीर-साहिब ज़माना नाज़ुक है, दोनों हाथों से थामिए दस्तार।"

"कोई तुम सा भी काश तुम को मिले, मुद्दआ हम को इंतिक़ाम से है।"

"अश्क आँख में कब नहीं आता, लहू आता है जब नहीं आता।"