मुनव्वर राना के 10 चुनिंदा शेर

Munawwar Rana shayari in hindi: 'ज़िंदगी तू कब तलक दर-दर फिराएगी हमें...’

"ज़िंदगी तू कब तलक दर-दर फिराएगी हमें, टूटा-फूटा ही सही घर-बार होना चाहिए।"

"नये कमरों में अब चीजें पुरानी कौन रखता है, परिंदों के लिए शहरों में पानी कौन रखता हैं।"

"सिरफिरे लोग हमें दुश्मन-ए-जां कहते है, हम जो इस मुल्क की मिट्टी को भी माँ कहते हैं।"

"भुला पाना बहुत मुश्किल है सब कुछ याद रहता है, मोहब्बत करने वाला इस लिए बरबाद रहता हैं।"

"अब जुदाई के सफ़र को मिरे आसान करो, तुम मुझे ख़्वाब में आ कर न परेशान करो।"

"किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकाँ आई, घर में सबसे छोटा था मेरे हिस्से में माँ आई।"

"गुलाब ऎसे ही थोड़े गुलाब होता है, ये बात काँटों पे चलने के बाद आती हैं।"

"अभी रोशन है चाहत के दिये हम सबकी आँखों में, बुझाने के लिये पागल हवायें रोज़ आती हैं।"

"मैं इसके नाज़ उठाता हूँ सो यह ऐसा नहीं करती,यह मिट्टी मेरे हाथों को कभी मैला नहीं करती।"

"गर कभी रोना ही पड़ जाए तो इतना रोना, आ के बरसात तिरे सामने तौबा कर ले।"