वसीम बरेलवी के 10 मशहूर शेर
Wasim Barelvi Shayari in Hindi: 'आसमाँ इतनी बुलंदी पे जो इतराता है...'
News Room
Thu, 14 Sep 2023
"आसमाँ इतनी बुलंदी पे जो इतराता है, भूल जाता है ज़मीं से ही नज़र आता हैं।"
"अपने चेहरे से जो ज़ाहिर है छुपाएँ कैसे, तेरी मर्ज़ी के मुताबिक़ नज़र आएँ कैसे।"
"जहाँ रहेगा वहीं रौशनी लुटाएगा, किसी चराग़ का अपना मकाँ नहीं होता।"
"शर्तें लगाई जाती नहीं दोस्ती के साथ, कीजे मुझे क़ुबूल मिरी हर कमी के साथ।"
"मैं उस को पूज तो सकता हूँ छू नहीं सकता, जो फ़ासलों की तरह मेरे साथ रहता हैं।"
"फूल तो फूल है आँखों से घिरे रहते है, काँटे बे-कार हिफ़ाज़त में लगे रहते हैं।"
"हादसों की ज़द पे है तो मुस्कुराना छोड़ दें, ज़लज़लों के ख़ौफ से क्या घर बनाना छोड़ दें।"
"रात तो वक़्त की पाबंद है ढल जाएगा, देखना ये है चराग़ों का सफ़र कितना हैं।"
"झूठ वाले कहीं से कहीं बढ़ गए, और मैं था कि सच बोलता रह गया।"
"लहू न हो तो क़लम तर्जुमाँ नहीं होता, हमारे दौर में आँसू ज़बाँ नहीं होता।"