अब डीटीसी बसों और ऑटो-टैक्सी के पैनिक बटन दबाने पर तुरंत होगी कार्यवाही, एक्शन में आई सरकार

Noida: दिल्ली की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा ने आटो व टैक्सियों के अलावा डीटीसी और क्लस्टर बसों में लगे बटन का ऑडिट किया तो पूरे सिस्टम में कई अनियमितताएं मिली इतना ही नहीं ऑडिट की बात आई रिपोर्ट में दावा किया जा रहा है। कि पैनिक बटन दबाने से एक भी शिकायत पुलिस कंट्रोल रूम को नहीं मिली थी रिपोर्ट में बताया गया है। कि इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि पैनिक बटन और कंट्रोल रूम के बीच एक ही करंट नहीं है जब भी कोई पैनिक बटन को दबाए गा तो शिकायत बस के ड्राइवर कंडक्टर के अलावा कश्मीरी गेट स्थित मेन कंट्रोल रूम को पहुंचेगी लेकिन जांच में एक बार भी पैनिक बटन दबाने के बाद कार्रवाई ना होने का पता चला है। साथ ही यही हाल और तो और टैक्सियों का भी है और डूबा एक्टिव में लगे जीपीएस व पैनिक बटन दबाने से कंट्रोल रूम से अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है और इसके अलावा इन सभी के सीसीटीवी कैमरे भी अभी तक खराब निकले हैं।
दरअसल आपको बता दें किसी भी आपात स्थिति में महिलाओं की मदद के लिए केंद्रीय मोटर वाहन नियम में जनवरी 2019 के बाद रजिस्टर्ड सभी सार्वजनिक वाहनों में पैनिक बटन के अलावा वाहन लोकेशन डिवाइस लगाना अनिवार्य किया गया था। इसके साथ ही ऑटो और टैक्सी उसे अलग दिल्ली सरकार ने डीटीसी बात क्लस्टर बसों में पैनिक बटन लगाने में करोड़ों रुपया खर्च किया है,साथ ही इसी साल जून में पैनिक बटन लगाने और उसके कामना करने की एक शिकायत मिली थी इसके बाद टीम का गठन किया गया।
इसके साथ ही आपको बता दें कि ऐसी भी नहीं कुछ बसों की जांच पड़ताल की थी तो पता चला कि बसों में मौजूद वॉकी टॉकी के साथ रेडियो सेट की कनेक्टिविटी लगभग सुने थे, पैनिक बटन दबाने की सूरत में कश्मीरी स्थित कंट्रोल रूम को बस के ड्राइवर कंडक्टर से संपर्क करना था शिकायत की पुष्टि होने के बाद दिल्ली पुलिस नियंत्रण कक्ष को सूचित कर पीड़ित तक मदद पहुंचाने की रिपोर्ट में दावा किया गया है। कि दिल्ली इंडिकेटेड मल्टीमॉडल ट्रांसलेट सिस्टम में पैनिक बटन अलार्म की निगरानी के लिए कोई नियंत्रण कक्ष संचालित नहीं किया गया है इसके साथ ही सीसीटीवी कंट्रोल रूम पर भी निगरानी नहीं की जा रही है।
अब इसके बाद इसकी एफ आई आर दर्ज करने की मंजूरी देने का अनुरोध भी किया जा रहा है एक रिपोर्ट में दावा किया गया है। कि परियोजना की विफलता से सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ है साथ ही सरकारी अधिकारियों की ओर से जारी खामियां पाई गई है। एसीबी ने ऑडिट रिपोर्ट को उपराज्यपाल के अलावा सचिव सतर्कता निदेशालय को भी भेज दिया है एसीबी ने सतर्कता निदेशालय को पत्र लिखकर मामले में भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत एफ आई आर दर्ज करने की मंजूरी देने का अनुरोध किया है।