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विदेशी नागरिकों को ठगने वाले फर्जी कॉल सेंटर का भंडाफोड़, 84 युवक-युवतियां धरे गए

Noida Crime: नोएडा के सेक्टर-6 में प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए पुलिस ने बताया कि शहर में फर्जी कॉल सेंटर में बड़े पैमाने पर कर्मचारी काम करते थे और उनके निशाने पर अमेरिका के लोग होते थे। इस फर्जी कॉल सेंटर पर छापेमारी करते हुए पुलिस ने 84 युवक-युवतियों को पकड़ा है।
 
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नोएडा के फेस-1 थाना पुलिस ने गुरुवार को एक फर्जी कॉल सेंटर का खुलासा किया है, जो अमेरिकी लोगों से सोशल सिक्योरिटी नंबर बंद होने की बात कहकर उनसे ठगी करता था। पुलिस ने छापा मारते हुए 84 युवक-युवतियों को गिरफ्तार किया है। यह सभी यहां पर कर्मचारी थे। छापेमारी में पुलिस ने भारी मात्रा में मोबाइल और डेढ़ सौ कंप्यूटर जब्त किए हैं। इसके साथ ही पुलिस ने मौके से 20 लाख़ रुपए की रकम भी बरामद किया है। 

धमकी देकर पैसे वसूलते थे आरोपी

नोएडा के सेक्टर-6 में प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए पुलिस ने बताया कि शहर में फर्जी कॉल सेंटर में बड़े पैमाने पर कर्मचारी काम करते थे और उनके निशाने पर अमेरिका के लोग होते थे, जिनसे यह सोशल सिक्योरिटी नंबर बंद होने और उसके गलत इस्तेमाल करने के नाम पर धमकी देकर पैसे वसूलते थे। बताया जा रहा है कि कॉलर खुद को अमेरिका के सोशल सिक्योरिटी एडमिनिस्ट्रेटिव बताते थे। दरअसल, अमेरिका में सोशल सिक्योरिटी नंबर ठीक उसी तरह से काम करता है जिस तरह से भारत में आधार कार्ड काम करता है। अमेरिका में भी सोशल सिक्योरिटी नंबर के जरिए बैंक, ड्राइविंग लाइसेंस, लोन, शिक्षा, हेल्थ से जुड़ी तमाम जानकारियां होती है। दूसरे शब्दो में कहा जाए तो यह अमेरिका के लोगों का पहचान पत्र होता है। 

कॉल सेंटर के दो मालिक समेत अन्य कर्मचारी शामिल

पुलिस ने आगे बताया कि सोशल सिक्योरिटी नंबर के बंद होने की बात कहकर आरोपी अमेरिकी नागरिकों से प्ले स्टोर कार्ड खरीदने के लिए कहते थे और इस कार्ड के स्क्रैच करने के बाद 16 डिजिट का नंबर पूछते थे, जिसके बाद इस नंबर को चीन, यूएसए और दुबई में बैठे लोगों को बेचकर पैसा कैश करा देते थे। उन्हीं लोगों के माध्यम से यह पैसा भारत में हवाला के जरिए पहुंचता था। पुलिस ने बताया कि छापेमारी में फर्जी कॉल सेंटर के दो मालिक समेत अन्य कर्मचारी शामिल हैं। कर्मचारियों की गिरफ्तारी के सवाल में पुलिस के अधिकारियों ने कहा कि फर्जी कॉल सेंटर में काम करने वाले सभी कर्मचारियों को पता था कि यह फर्जी कॉल सेंटर है लेकिन फिर भी वह यहां कम कर रहे थे, जिसकी वजह से वह केस में सह-अभियुक्त बनाए गए हैं।

इस तरह फैला रखा ​था पूरा नेटवर्क

पुलिस ने बताया कि जांच के दौरान यह पता चला है कि आरोपी अलग-अलग वेबसाइट के जरिए अमेरिका के नागरिकों का डाटा खरीदते थे और फिर वीसी डायलर के माध्यम से यूएसए के नागरिकों को फोन करते थे। आरोपी ठगी की रकम को ट्रांसफर करवाने के लिए ईबे, गूगल पे, टारगेट और नाइक के जरिए गिफ्ट कार्ड खरीदवाते थे। गिफ्ट कार्ड के कोड को लेकर वह राशि को अपने खाते में जमा करा देते थे। 

अमेरिकी नागरिकों से डॉलर में ठगी

अमेरिकी नागरिकों का डाटा ऑनलाइन अलग-अलग वेबसाइट से खरीद कर अपने सर्वर वीआईसीआई डायलर पर अपलोड करके तीन से चार हजार लोगों को कॉल कर उन्हें सोशल सिक्योरिटी नंबर ब्लॉक करने का डर दिखाया जाता था। जिसके बाद यह लोग उनसे 200 से लेकर 500 डालर तक ठग लेते थे। अमेरिकी नागरिक आरोपियों को पैसा देने से मना करता था तो यह सोशल सिक्योरिटी नंबर को सस्पेंड करने या अरेस्ट वारंट का डर दिखते थे। फिलहाल पुलिस ने फर्जी कॉल सेंटर के दो मालिकों और 84 कर्मचारियों को गिरफ्तार कर फर्जी कॉल सेंटर का खुलासा कर दिया है।

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