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पुलिस कमिश्नरेट ने चलाया 'नन्हें परिंदे' अभियान, खेल-खेल में स्लम बच्चों को पढ़ाया चंद्रयान का पाठ

Nanhe Parinde Campaign: नोएडा पुलिस कमिश्नरेट की तरफ से जिले में "नन्हें परिंदे" नाम से एक अभियान चलाया गया है। अभियान के तहत स्लम एरिया में रहने वाले ऐसे बच्चे जो स्कूल नहीं जा पाते हैं, उन्हें चंद्रयान-3 की सफलता के बारे में सरल भाषा और चित्रण के माध्यम से जानकारी दी।
 
Noida ACP

23 अगस्त 2023 को चंद्रमा के उत्तरी ध्रुव पर चंद्रयान 3 की सफल लैंडिग के बाद से पूरे देश में जश्न का माहौल है। चंद्रयान-3 की जानकारी छात्रों तक पहुंच सके इसके लिए सरकारी स्कूलों में भी चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग का लाइव टेलीकास्ट भी दिखाया गया। चंद्रयान की सफल लैंडिंग के इतिहास का साक्षी बनने में स्लम एरिया के कुछ बच्चे रह गए थे, जिनकी तरफ किसी का ध्यान नहीं गया। जिसे ध्यान में रखते हुए नोएडा पुलिस कमिश्नरेट की तरफ से जिले में "नन्हें परिंदे" नाम से एक अभियान चलाया गया है। अभियान के तहत स्लम एरिया में रहने वाले ऐसे बच्चे जो स्कूल नहीं जा पाते हैं या परिवार की आर्थिक हालत ठीक नहीं होने की वजह से शिक्षा के अधिकार से महरूम रह जाते हैं, उनके लिए एक वैन में शिक्षा से जुड़ी सभी सामग्री और टीचर उनके घर के पास जाकर उन्हें शिक्षा देने का काम कर रही है। 

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बच्चों को दी चंद्रयान-3 लैंडिंग की जानकारी

नोएडा पुलिस कमिश्नरेट का अभियान "नन्हें परिंदे" बेहद लोकप्रिय होता जा रहा है। इसके जरिए गरीब बच्चों को चंद्रयान-3 की सफलता के बारे में सरल भाषा और चित्रण के माध्यम से जानकारी देने का जिम्मा नोएडा के एक पुलिस अधिकारी एसीपी प्रथम रजनीश वर्मा ने उठाया है। अभियान के तहत नोएडा के एसीपी ने बच्चों को स्लम एरिया में जाकर चंद्रयान-3 की लैंडिंग की जानकारी दी। साथ ही बच्चों को बेहद सरल भाषा में चंद्रयान-3 मिशन के सफल होने और बाद में भारत को कौन से फायदे होंगे इसके बारे में विस्तार से बताया। 

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बच्चों को दिया चंद्रयान-3 का स्मृति चिन्ह 

एसीपी प्रथम रजनीश वर्मा ने बच्चों को सरल भाषा और पेंटिंग के माध्यम से बताया कि देश के वैज्ञानिकों ने चंद्रयान-3 को किस तरह से चंद्रमा पर भेजा था और चंद्रयान-3 पर सफल लैंडिंग के बाद विक्रम लैंडर चांद पर मौजूद मिट्टी और धातुओं की जानकारी देगा। साथ ही उन्होंने बच्चों के हर सवाल का जवाब दिया। उन्होंने चंद्रयान-3 की पेंटिंग भी बनाई जिससे बच्चे चित्रण के माध्यम से अपने मन में चंद्रयान-3 की छाप को हमेशा के लिए संजो सके। एसीपी ने बच्चों को चंद्रयान-3 का एक रॉ मटेरियल से बनाई गया स्मृति चिन्ह भी दिया।

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